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Sunday, January 11, 2015

Ek Parvaaz - Lyrics & Translation_Ghazal_Jagjit Singh

Lyrics

Ek parvaaz dikhayee di hai 
Teri aawaz sunayee de rahi hai 

Jiski aankhon mein kati thi sadiyaan 
Sadiyon ki judayee di hai 

Sirf ik safha palat kar usne 
Beeti baaton ki safaayee di hai 

Fir wahin lautke jaana hoga 
Yaar ne kaisi rihayee di hai 

Aag ne kya kya jalayaa hai shavpar 
Kitni khushrang dikhayee di hai 

एक परवाज़ दिखाई दी है। 
तेरी आवाज़ सुनाई दी है।। 

जिस की आँखों में कटी थीं सदियां, 
उस ने सदियों की जुदाई दी है।। 

सिर्फ़ एक सफ़हा पलटकर् उस ने, 
बीती बातों की सफ़ाई दी है।। 

फिर वहीं लौट के जाना होगा, 
यार ने कैसी रिहाई दी है।। 

आग ने क्या क्या जलाया है शव पर, 
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है।। 

Lyrics: Gulzar 
Music: Jagjit Singh. 
Singer: Jagit Singh 

Translation 

A flying object; I can see. 
You voice, I can hear. 

In whose eyes I spent centuries- 
Separation for centuries he did offer. 

He just turned a page- 
An alibi of the past he did offer. 

To return there again is imperative- 
The release by the friend is a strange offer. 

What not is burnt in fires of pyre?- 
So happy and colorful it does appear. 

© Translation in English by Deepankar Choudhury. 

Translation 

উড়তে কিছু দেখতে পাওয়া যাচ্ছে 
তোমার ধ্বনি শুনতে পাওয়া যাচ্ছে 

যার চোখে কাটিয়ে দিলাম বছর শত-শত, 
শত বছরের বিরহ সে উপহার দিয়েছে 

শুধু একটা পৃষ্ঠা উলটিয়েই- 
পুরানো সব কথার কারন বলতে পেরেছে 

আবার সেখানে ফিরে যেতে হবে- 
বন্ধু আমার কেমন ছাড়পত্র দিয়েছে 

আগুন কতো কিছু জ্বালিয়ে দেয় চিতাতে 
দেখো কতো খুশিতে রঙ ছড়াচ্ছে ।। 

© Translation in Bengali by Deepankar Choudhury.

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