Lyrics
Samajhte thay magar phir bhi na rakhi dooriyaan hum ne
Chiragoon ko jalaane mein jalaa lee ungliyaan hum ne
Koi titlee hamaare paas aati bhi to kyaa aati
Sajaaye umr bhar kaagaz ke phool aur pattiyaan hum ne
Yunhi ghut ghut ke mar jaana humein manzoor thaa lekin
Kisi kam-zarf par zahir na kee majbooriyaan hum ne
Hum us mehfil mein bas ik baar sach bole thay ay 'Wali'
Zuban per umr bhar mehsoos ki chingariyaan hum ne
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरिया हम ने
चरागो को जलाने मे जला ली उंगलिया हम ने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाए उम्र भर काग़ज़ के फूल और पत्तिया हम ने
यूँ ही घुट घुट के मर जाना हमे मंज़ूर था लेकिन
किसी कमजर्फ पर ज़ाहिर पर ना की मजबूरियाँ हम ने
हम उस महफ़िल में बस इक बार सच बोले थे ए वाली
ज़बान पर उम्र भर महसूस की चिंगारियाँ हम ने
Lyrics: Wali Aasi
Music: Jagjit Singh
Singer: Jagjit Singh
Translation
I knew fully well yet distance was not maintained by me.
To aflame lamps my own fingers were burnt by me.
Why should any butterfly come near me?
Flowers and leaves of paper were adorned by me.
I agree to die choking with my pains but-
To anyone less worthy feelings were not expressed by me.
Only once did I utter the truth in your party-
For entire life on tongue blisters were felt by me.
© Translation in English by Deepankar Choudhury.
Translation
জানতাম তবুও দূরত্ব বজায় রাখিনি আমি-
প্রদীপ জ্বালাতে গিয়ে আঙ্গুল পুড়িয়ে ফেললাম আমি।
কেন কোনো প্রজাপতি আসবে কাছে?
সাজিয়েছিলাম কাগজের ফুল-বাহার আমি।।
এইভাবে শ্বাস-রুদ্ধ হয়ে মারা যেতে রাজি ছিলাম কিন্তু-
কোনও অকৃতীকে নিজের দুর্বলতা জাহির করিনি আমি।।
ওই সভাতে একবার সত্য কথা বলেছিলাম আমি-
জীভে এখনও ফোস্কার জ্বালা অনভব করি আমি।
© Translation in Bengali by Deepankar Choudhury.
No comments:
Post a Comment