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Sunday, January 25, 2015

Hai Bas Ki Har Ek - Lyrics & Translation_Ghazal_Ghalib


Lyrics


Hai bas ki har ek unke ishaare mein nishaan aur 
Karte hain mohabbat to guzartaa hai gumaan aur 

Yaa rab wo naa samjhe hain na samjhenge meri baat 
De aur dil unko jo naa de mujhko zabaan aur 

Abroo se hai kyaa us nigah-o-naaz ko paiwand 
Hai teer muqarrar magar us kee hai kamaan aur 

Tum shahar mein ho to hamein kya gam jab uthhenge 
Le ayenge bazaar se jaa kar dil-o-jaan aur 

Har chand subuk-dast hue but shikani mein 
Ham hain to abhi raah mein hai sang-e-giraan aur 

Hai khoon-e-jigar josh mein dil khol ke rotaa 
Hote jo kai didaa-e-khoon naab fishaan aur 

Martaa hun us aawaaz pe har chand sar ur jaaye 
Jallaad ko lekin wo kahe jaen ki haan aur 

Logon ko hai khurshid-e-jahaan taab kaa dhokhaa 
Har roz dikhataa hun main ek daagh-e-nihaan aur 

Letaa na agar dil tumhe detaa koi dam chain 
Kartaa jo na martaa koi din aah-o-fighaan aur 

Paate nahi jab raah to charh jaate hain naale 
Rukti hai meri tab 'a to hoti hai rawaan aur 

Hain aur bhi duniyaa mein sukhanvar bahut acchhe 
Kahte hain ki Ghalib kaa hai andaaz-e-bayaan aur 

है बस कि हर एक उनके इशारे में निशाँ और 
करते हैं मुहब्बत तो गुज़रता है गुमां और 

या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बात 
दे और दिल उन को जो न दे मुझ को ज़बां और 

अबरू से है क्या उस निगाह-ए-नाज़ को पैवंद 
हैर तीर मुक़र्रर मगर उस की है कमां और 

तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे 
ले आयेंगे बाज़ार से जा कर दिल-ओ-जां और 

हर चंद सुबुक-दस्त हुए बुत-शिकनी में 
हम हैं तो अभी राह में है संग-ए-गिरां और 

है खून-ए-जिगर जोश में दिल खोल के रोता 
होते जो कई दीदा-ए-खून नाब फिशां और 

मरता हूँ उस आवाज़ पे हर चंद सर उड़ जाए 
जल्लाद को लेकिन वो कहे जाएँ कि हाँ और 

लोगों को है खुरशीद-ए-जहां ताब का धोखा 
हर रोज़ दिखाता हूँ मैं एक दाग़-ए-निहां और 

लेता न अगर दिल तुम्हे देता कोई दम चैन 
करता जो न मरता कोई दिन आह-ओ-फिगां और 

पाते नहीं जब राह तो चढ़ जाते हैं नाले 
रुकती है मेरी तब'अ तो होती है रवां और 

हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे 
कहते हैं कि ग़ालिब का हैं अंदाज़-ए-बयाँ और 

Lyrics : Mirza Ghalib. 
Music: Ghulam Mohammad 
Singer: Mohammed Rafi 
Movie: Mirza Ghalib (1954) 

Translation

It is there in her gesture some aim other- 
When she expresses love suspect something other. 

Oh God' she would never understand what I say- 
Love her more, but she'd never utter an oath or other. 

What is the relation between flirtatious glance and eyebrow? 
Is it so that one aims the arrow and string is the other. 

Even if you're around then do I care? When pain arises- 
I shall go to the market and get for myself a heart or other. 

Everyone is so experienced in shattering of idols. 
A stronger idol, me is yet on one path or the other. 

The blood inside the body would've cried its heart out. 
If only to shower blood eyes are ready or the other. 

I am ready to die to hear her voice, await my behead. 
She cheers the executioner for one head and the other. 

Everyone lives in illusion that Sun warms the world. 
Everyday I show one hidden wound or the other. 

A puff of peace I'd have taken, if to you my heart I'd not given. 
A few more days of weeps and wails I'd lived had I not died or the other. 

When tears don't find a path they overflow. 
So overflows my spontaneity when it is restricted or the other. 

There do exist many more spontaneous speakers. 
However, Ghalib is different in describing a thing or the other. 

© Translation in English by Deepankar Choudhury.


Translation

সে করে ইশারা এক আর লক্ষ্য থাকে আর। 
ভালবাসে বলে যখন সন্দেহ হয় কিছু আর।। 

হা ভগবান! সে বুঝবেনা কোনদিনই আমি যা বলতে চাই- 
মন দিই আরও, সেকি প্রতিশ্রুতি দেবে আর? 

ছিনাল দৃষ্টি আর পলকের মধ্য কি সম্পর্ক? 
একটা তীর চালায়ে, টঙ্কার টানে আর। 

তুমি শহরে থাকলেও আমার কি, যখন পীড়া উঠবে- 
যাব বাজারে - কিনে নেবো হৃদয় আর।। 

প্রতিমা ধ্বংসে সবাই কেমন নিপুন- 
আমি এক অনন্য প্রতিমা রয়েছি পড়ে রাস্তায় আর।। 

আমার শরীরের রক্ত হৃদয় উপচে কাঁদত 
যদি রক্ত ঝরানো চক্ষু প্রস্তুত থাকত আর।। 

আমি মরি সে কণ্ঠস্বর শোনার জন্য, প্রস্তুত শীরচ্ছেদের জন্য- 
আর সে উচ্ছসিত হয়ে জল্লাদকে বলে আরও একটা আর।। 

মানুষে এক ভুল ধারনা যে সূর্য পৃথিবীতে খুশির রোশনাই ছড়ায়ে 
আমি নিত্য নতুন গোপন ক্ষত উন্মোচন করতে থাকি আর।। 

মনের সুখটান আমি নিতাম যদি না মন দিয়ে ফেলতাম 
কান্না ও পশ্চাত্তাপ নিয়ে আমি বেঁচে থাকতাম, মরে যদি না থাকতাম আর। 

যখন পথ না পায় তখন নালা উপচে রাস্তায় পড়ে 
আমার স্বতঃস্ফূর্ততা উপচায়ে বাধা পেলে আর। 

এই দুনিয়াতে আরও ভাল বক্তা আছেন- 
তবুও বলা হয় গালিবের ভঙ্গিমা যেন আর।। 

© Translation in Bengali by Deepankar Choudhury.

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